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विधायक लोढ़ा ने सदन में विशेष उल्लेख प्रस्ताव के तहत उठाया मामला

विधायक लोढ़ा ने सदन में विशेष उल्लेख प्रस्ताव के तहत उठाया मामला
विधायक लोढ़ा ने सदन में विशेष उल्लेख प्रस्ताव के तहत उठाया मामला

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

लीलूडी बड़ली में बने शहीद स्मारक

रिपोर्ट हरीश दवे

नई पीढ़ी को अन्याय व संघर्ष के खिलाफ संघर्ष की मिल सके प्रेरणा

सिरोही/शिवगंज। जिले में आबूरोड़ के समीप भूला में लीलूडी बड़ली में अंग्रेजी हुकुमत की नीतियों एवं शोषण के विरोध में ५ मई १९२२ को हुए नरसंहार जिसमें सैकड़ों की संख्या में आदिवासी अन्याय व शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहीद हो गए। उनकी स्मृति में लीलूडी बड़ली में शहीद स्मारक बनाने की मांग अब विधानसभा तक गुंज रही है। सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने शुक्रवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान विशेष उल्लेख प्रस्ताव नियम २९५ के तहत इस मामले को उठाते हुए राज्य सरकार से लीलूडी बड़ली में शहीद स्मारक बनाने की मांग रखी। ताकि आने वाली पीढ़ी को अन्याय व शोषण के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा मिल सके।

विधायक संयम लोढ़ा ने शुक्रवार को सदन में विशेष उल्लेख प्रस्ताव नियम २९५ के तहत जिले की जनता की ओर से लीलूडी बड़ली में शहीद स्मारक बनाने की उठाई जा रही मांग का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजों के राजशाही राज की ओर से थोपे गए लगान के विरोध में ५ मई १९२२ को सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों ने संघर्ष करते हुए बलिदान दिया था। जिसमें महिलाओं, बच्चों एवं युवाओं सहित करीब ८०० आदिवासी शहीद हो गए तथा सैकड़ों की संख्या में हताहत हुए थे। विधायक लोढ़ा ने कहा कि मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में ये विरोध राजस्थान से लेकर गुजरात तक पहुंचा था। इतना ही नहीं यहां की मिट्टी को कलश में भरकर वर्ष १९८९ को दिल्ली भी भेजा गया, लेकिन शहीदों की स्मृति में कुछ नहीं हुआ। विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत ने वर्ष २०१३ में स्वयं लीलूडी बड़ली आकर सवा तीन करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले शहीद स्मारक की आधारशीला रखी थी।

भाजपा सरकार ने कर दिया था निरस्त

विधायक ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार की ओर से शहीद स्मारक बनाने के लिए सवा तीन करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए लेकिन दलित एवं आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार ने वर्ष २०१४ में इसे निरस्त कर दिया। अब फिर से जैसलमेर में आदिवासी दिवस के मौके पर होटल सूर्यगढ़ में मुख्यमंत्री गहलोत ने जनजाति मंत्री दिनेश बामणिया को इसके लिए आवश्यक निर्देश प्रदान किए थे। परिणामस्वरूप उन्होंने वर्ष २०२० में चारदीवारी निर्माण के लिए ५० लाख रूपए स्वीकृत किए है। विधायक ने राज्य सरकार से बजट सत्र २०२१-२२ में लीलूडी बड़ली में शहीद स्मारक की पुन: स्वीकृति जारी करने का आग्रह किया है, ताकि आने वाली पीढ़ी को अन्याय व शोषण के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा मिल सके।

विधायक को भरोसा, मिलेगी स्वीकृति

विधायक संयम लोढ़ा ने बताया कि अंग्रेजी हुकुमत के दौरान नागरिकों पर होने वाले अत्याचार, अन्याय व शोषण के खिलाफ हुए संघर्ष में लीलूडी बड़ली नरसंहार जलियावाला बाग कांड जैसा ही है। यहां अन्याय के खिलाफ संघर्ष करते हुए बलिदान देने वाले आदिवासियों की याद में स्मारक बनना चाहिए। विधानसभा में विशेष उल्लेख प्रस्ताव के तहत यह मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार उनके इस प्रस्ताव पर ध्यान देगी तथा लीलूडी बडली में शहीद स्मारक बनाने की स्वीकृति मिलेगी।


 

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