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अजय माकन भी नहीं सुलझा पाए अशोक गहलोत व सचिन पायलट का विवाद।

 

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

प्रदेश कोंग्रेस में नही रुक रहा सत्ता और संगठन का घमासान।

रिपोर्ट हरीश दवे

सीएम गहलोत ओर सचिन पायलट दोनो की टीम डोटासरा पर नही बनी सहमति।।

कोंग्रेस आला कमान ही कर सकता है। निदान। निर्दलीय विधायक संयम लोढा आये फिर संकट मोचक की भूमिका में।

जयपुर/सिरोही कोंग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ मिलकर संभावित पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की सूची तैयार की थी लेकिन इस सूची को गहलोत व पायलट दोनों ने ही मानने से इनकार कर दिया।

कांग्रेस आलाकमान काफी मशक्कत के बावजूद राजस्थान के कोंग्रेस नेताओं के वर्चस्व का झगड़ा नहीं निपटा पा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी जंग इस हद तक बढ़ गई कि पार्टी आलाकमान फैसलों की तारीख तय करने के बावजूद निर्णय नहीं कर पा रहा है। गहलोत व पायलट के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण ना तो पिछले छह माह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी गठित हो सकी और ना ही मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियों का काम हो पा रहा है। प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी व जिला अध्यक्षों की नियुक्ति दिसंबर में करने की घोषणा की थी।

माकन ने प्रदेश का दौरा कर कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया था कि दिसंबर में संगठनात्मक नियुक्तियों का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जनवरी के पहले सप्ताह से सरकार को लेकर निर्णय होंगे। उन्होंने कहा था कि जनवरी में मंत्रिमंडल में फेरबदल व राजनीतिक नियुक्तियां हो जाएगी, लेकिन दोनों दिग्गजों के बीच चल रहे सियासी संघर्ष में माकन की बिल्कुल नहीं चल पा रही है। माकन ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ मिलकर संभावित पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की सूची तैयार की थी, लेकिन इस सूची को गहलोत व पायलट दोनों ने ही मानने से इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, दोनों ने एक-दूसरे द्वारा सुझाए गए नामों पर सहमति नहीं दी। वहीं, जिन वरिष्ठ विधायकों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारी बनाया जा रहा था, उनमें से कई ने संगठन में काम करने से इनकार कर दिया। विधायकों ने सरकार में काम करने की इच्छा जताई है। अधिकांश विधायकों ने मंत्री बनने की इच्छा जताई है।

वहीं, कुछ ने राजनीतिक नियुक्ति के माध्यम से सरकार में दखल रखने को लेकर अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाई है। गहलोत व पायलट की सियासी जंग और विधायकों की इच्छा के चलते आलाकमान सत्ता व संगठन दोनों को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है। माकन जब मामले को सुलझाने में असहाय साबित होने लगे तो पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दखल किया, लेकिन वे भी अब तक कुछ खास नहीं कर पाए।

सूत्रों के अनुसार, अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी ही राजस्थान से जुड़े मामलों का निस्तारण करेंगे। उल्लेखनीय है कि गहलोत व पायलट के बीच चले विवाद, नेताओ की फुट ओर भीतरघात का ही परिणाम है कि जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में पार्टी की बुरी तरह से हार हुई। हालांकि पायलट के प्रभाव वाले इलाकों में कुछ हद तक सफलता जरूर मिली।

लेकिन उसकी वजह जातिगत समीकरण भी प्रभावी रहे।उधर प्रदेश में कोंग्रेस संगठन और सत्ता पे जबरदस्त पकड़ रखने वाले सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढा भी अपने राजनीतिक गुरु सीएम अशोक गहलोत व कोंग्रेस सरकार और संगठन को मजबूत करने व विरोधी पक्षो की रणनीति को विफल करने जयपुर पहुच चुके है ओर रविवार को जयपुर में किसान आंदोलन के संमर्थन में सीएम गहलोत व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट,प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा व 80 विधायको की मौजूदगी में विधायक जन सभा मे केंद्र सरकार पे जम के बरसे।हालांकि गत महीनों कोंग्रेस सरकार को अस्थिर करने में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की भूमिका में उन्होंने कड़े सवाल उठा कर भले ही उनसे राजनीतिक पंगा लिया पर सूत्र बताते है कि प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, व सीएम गहलोत कोंग्रेस के एसोसिएट मेंबर व निर्दलीय विधायक संयम लोढा की राजनीतिक,कूटनीतिक दक्षता का लाभ केबिनेट में मंत्री पद दे कर लेना चाहते है।पर सीएम गहलोत ओर पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के वर्चस्व की लड़ाई का ऊँट कोनसी करवट लेता हैं।जिस का फैसला कोंग्रेस हाईकमान के अलावा हल होने की गुंजाइश कम है।पर राजनीति के मंजे हुए जादूगर ओर अजात शत्रु सीएम गहलोत पूर्व में ही बयान दे चुके है कि राजनीति में अंतिम समय तक कुछ कहा नही जा सकता और अब अनुभव और युवा जोश की कलह में कोंग्रेस के दिग्गज नेता और विधान सभा अध्यक्ष सीपी जोशी भी अंदरूनी तौर पे वर्चस्व के कलह के निवारण में रेफरी बन सकते है।


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